भा.कृ.अनु.प. - केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान

(आईएसओ 9001 : 2008)

एक दिवसीय किसान मेला और नवाचार दिवस , 24 सितम्बर 2014 को केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान जोधपुर में आयोजित किया गया । किसान मेले का उद्घाटन माननीय श्री बाबू सिंह राठौर, विधायक, शेरगढ़, जोधपुर मे किया, प्रो॰ ओ पी गिल, कुलपति, एम. पी. यू. टी, उदयपुर इस अवसर के सम्माननीय अतिथि थे . कार्यक्रम डॉ . एम एम रॉय, निदेशक, के.रु.क्षे.अनु.सं  जोधपुर की अध्यक्षता में किया गया । पश्चिमी राजस्थान के विभिन्न जिलों से लगभग 1900 किसानों ने मेले में भाग लिया . खेतिहर महिलाओं की भागीदारी भी अत्यधिक प्रशंसनीय थी . कार्यक्रम के दौरान एक प्रदर्शनी भी आयोजित की गई, जिसमें 40 से अधिक स्टालों को के.रु.क्षे.अनु.सं द्वारा लगाया गया जिसमे रेपसीड और सरसों परियोजना निदेशालय, भरतपुर, के. भ. अनु. सं.आविकानगर,  एन.आर.सी. बीज मसाले अजमेर, व विभिन्न केंद्रीय सरकारी विभागों, राज्य सरकार के विभागों, गैर सरकारी संगठनों और निजी संगठनों ने भाग लिया। सभी किसानों और मेहमानों को  के.रु.क्षे.अनु.सं द्वारा विकसित विभिन्न तकनीकों के बारे में अवगत कराया गया । एक किसान गोष्ठी का भी आयोजन  हुआ जिसमे वैज्ञानिकों के साथ बातचीत करने के लिए किसानों को अवसर प्रदान किया गया। श्री . बाबू सिंह राठौड़ ने किसानों को संबोधित किया व संस्थान द्वारा किए गए शोध और विस्तार के काम की सराहना की। उन्होंने ज्ञान में सुधार और बेहतर तकनीक को अपनाने से कृषि और पशुधन उत्पादन से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए वैज्ञानिकों के साथ बातचीत जारी रखने के लिए किसानों से आग्रह किया। उन्होंने आगे कहा श्रमिकों की कमी के कारण, किसानों को यंत्रीकृत कृषि को अधिक महत्व देना चाहिए। प्रो॰ ओ.पी. गिल, कुलपति, एम. पी. यू. टी, उदयपुर ने भी शुष्क क्षेत्र में कृषि, पशुधन उत्पादन और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के विकास में के.रु.क्षे.अनु.सं के योगदान की सराहना की। उन्होंने किसानों को प्रति इकाई क्षेत्र अधिक आय प्राप्त करने हेतु आधुनिक तकनीक अपनाने परंपरागत कृषि में विविधता लाने के लिए किसानों को कहा। अध्यक्षीय भाषण में डॉ . एम एम रॉय, निदेशक, के.रु.क्षे.अनु.सं  जोधपुर, ने किसानों को क्षेत्र में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के महत्व पर प्रकाश डाला और बेहतर तकनीकों से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए क्षेत्र में सुधार तकनीकों को अपनाने के लिए आगे आने के लिए किसान की अपील की। उन्होंने आगे कहा कि प्राथमिकता कम लागत, टिकाऊ और कुशल व्यावहारिक ग्रहणीय प्रौद्योगिकी के विकास के लिए दी जानी चाहिए। प्रमुख अतिथियों का स्वागत करते हुए डॉ पीसी.  पांडे, विभागाध्यक्ष ने  रेत के टीलों के स्थिरीकरण, कीट, ग्वार, बाजरा, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, गैर अक्षय ऊर्जा, जल संचयन, वैकल्पिक भूमि उपयोग प्रणाली, पशुधन प्रबंधन के उपयोग की अधिक उपज देने वाली किस्मों के विकास में के.रु.क्षे.अनु.सं द्वारा की गई उपलब्धि पर प्रकाश डाला। डॉ बीके माथुर, प्रधान वैज्ञानिक ने कृ. वि. के., जोधपुर  की गतिविधियों पर प्रकाश डाला . इस अवसर पर आठ विस्तार फ़ोल्डरों जारी किए गए। बारह अभिनव किसानों को भी कृषि और पशुधन के विकास के लिए उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया . धन्यवाद प्रस्ताव डॉ राज सिंह, प्रधान वैज्ञानिक, के.रु.क्षे.अनु.सं, जोधपुर और किसान मेला और नवाचार दिवस के संयोजक द्वारा प्रस्तावित किया गया ।

समाचार एवं मुख्य अंश

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद पश्चिमी क्षेत्र खेलकूद प्रतियोगिता, 20 से 24 नवम्बर 2014


शुष्क और अर्द्ध शुष्क क्षेत्र के तहत जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषदलघु पाठ्यक्रम, 08-17 दिसम्बर 2014